SHRI ARGALA STROTRA श्री अर्गला स्त्रोत्र नमस्कार देवी जयंती महारानी श्री मंगला काली दुर्गा भवानी कृपालनि और भद्रकाली शम्मा माँ शिवा धात्री श्री स्वः रमा माँ नमस्कार चामुण्डे जग तारिणी को नमस्कार मधु कैटभ संघारिणी को ..

 श्री गणेश

श्री अर्गला स्त्रोत्र



नमस्कार देवी जयंती महारानी 

श्री मंगला काली दुर्गा भवानी

कृपालनि और भद्रकाली शम्मा माँ

शिवा धात्री श्री स्वः रमा माँ

नमस्कार चामुण्डे जग तारिणी को 

नमस्कार मधु कैटभ संघारिणी को ..


नमस्कार ब्रह्मा को वर दीन वाली 


ओह भक्तो के  संकट को हर लेने वाली

!! तू संसार में भगत को यश दिलाये ! 

तू  दुस्टो  के  पंजे  से  सब  को  बचाये


!! तेरे चरण पूनूं तेरे नाम गाऊं ! तेरे दिव्य दर्शन को, हिरदय से चाहु


मेरे  नैनो  की  मैया  शक्ति  बढ़ा  दे 

मेरे  रोग  संकट  कृपा  कर  मिटा  दे  !!


तेरी  शक्ति  से  मैं  विजय  पाता  जाऊं  !


तेरे  नाम  के  यश  को  फैलता  जाऊं  !!


मेरी  आन  रखना  मेरी  शान  रखना  !


मेरी  मैया  बेटे  का  तुम  धयान   रखना  !!


बनाना  मेरे  भाग्य  दुःख  दूर  करना  !


तू  है  लष्मी  मेरे  भंडार  भरना  !!


ने  निराश  दर  से  मुझे  तुम  लौटना  !


सदा  वेरियों  से  मुझे  तुम  बेचना  !!


मुझे  तो  तेरा  बल  है  विश्वास  तेरा  !


तेरे  चरणों  में  है  नमस्कार  मेरा  !!


नमस्कार  परमेश्वरि  इन्द्राणी  i !


नमस्कार  जगदम्बे  जग  की  महारानी  !!


मेरा  घर  गृहस्ती  स्वर्ग  शूम  बनाना  !


मुझे  नेक   संतान  शक्ति  दिलाना  !!


सदा  मेरे   परिवार  की  रक्षा  करना  !


ने अपराधों  को  मेरे  दिल  माहि  धरना  !!


नमस्कार  और  कोटि  परनाम  मेरा  !


सदा  ही  मैं  जाप्ता  रहूँ  नाम  तेरा  !!


जो  स्त्रोत्र  को  प्रेम  से  पढ़  रहा  हो  !


जो  हर  वक़्त  स्तुति  तेरी  कर  रहा  हो  !!


उसे  क्या  कम्मी  है  ज़माने  में  माता  !


भरे  सम्पति  कुल  खजाने  में  माता  !!


जिसे  तेरी  किरपा  का  अनुभव  हुआह  है  !


वही  जिव  दुनिया  में  उज्वल  हुआ   है  !!


जगत   जननी  मैया  का  वरदान  पाओ  !


दासी  (चमन ) प्रेम   से  पथ  दुर्गा  का  गाओ  !!


सुख  सम्पति  सबको  मिले  , रहे  क्लेश  न  लेश  !


प्रेम  से  निश्चेय  धार  कर , पढ़े   जो पाठ  हमेश  !!


संस्कृत  के  श्लोकों  में , गूढ़  है  रास  लव  लीन  !


ऋषि  वाक़ियों  के  भँवो  को , समझे  कैसे  दीं  !!


अति  कृपा  भगवान्  की , दासी  (चमन ) जभी  हो  जाये  !


पढ़े  पाठ  मनोकामना , पूरण  सब  हो  जाये  !


JAY MATA DI ...



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जय श्री गढ़ गणेश महाराज नीत का लाडू खावे छे याने चौकी बैठी स्नान करौ आभूषण पेहराऊ याके घास घास चन्दन तिलक लगाकर दर्शन पाव छू याके हरी हरी धोब अखण्डया चावल सीस चड़ाउ छू .. याके चूरमा बाटी नीत का भोग लागू छ.. जय श्री गढ़ गणेश महाराज नीत का लाडू खावे छे याके ब्रह्मपुरी का गॉड ब्राह्मण आरती गावे छे वो तो चन्दन मेहला आगे सबने दर्शन देवे छे . जय श्री गढ़ गणेश महाराज नीत का लाडू खावे छे